Patal Bhuvaneshwar उत्तराखंड की एक रहस्यमयी गुफा है, जहाँ छिपा है ब्रह्मांड और हिंदू देवताओं का अद्भुत रहस्य। जानिए इसका इतिहास, महत्व और यात्रा गाइड।
भारत एक ऐसा देश है जहाँ हर स्थान पर इतिहास, धर्म और रहस्य की कोई न कोई कहानी छुपी होती है। ऐसा ही एक स्थान है उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में स्थित Patal Bhuvaneshwar, जो न सिर्फ एक गुफा है बल्कि पौराणिक कथाओं का जीता-जागता प्रमाण भी माना जाता है। कहा जाता है कि इस गुफा में खुद भगवान शिव और अन्य देवताओं की उपस्थिति महसूस की जा सकती है।
Patal Bhuvaneshwar उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित है, जो समुद्र तल से लगभग 1,350 मीटर की ऊँचाई पर है। यह जगह गंगोलीहाट से करीब 14 किलोमीटर दूर है। यहाँ पहुँचने के लिए सबसे नजदीकी बड़ा स्टेशन काठगोदाम रेलवे स्टेशन है और निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर एयरपोर्ट है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह गुफा त्रेता युग में खोजी गई थी जब राजा ऋतुपर्ण यहाँ तप करने आए थे। बाद में आदि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में इस गुफा को पुनः खोजा और इसे सार्वजनिक रूप से प्रचारित किया।
गुफा के भीतर कई प्राकृतिक शिलाएं (formations) हैं जिन्हें देवताओं और पौराणिक पात्रों से जोड़ा गया है। जैसे:
भगवान गणेश का कटा हुआ सिर
शेषनाग की आकृति
केदारनाथ और अमरनाथ की प्रतिकृति
कलियुग के अंत का संकेत देती शिला
गुफा के अंदर जाने के लिए एक छोटे से मुंह से प्रवेश करना पड़ता है, और यह लगभग 90 फीट गहराई तक जाती है।
अंदर का वातावरण रहस्यमयी और ध्यानमग्न करने वाला होता है।
यहाँ प्राकृतिक रूप से बनी हुई शिलाएं किसी मूर्ति से कम नहीं लगतीं।
कहा जाता है कि यहाँ चारों युगों के संकेत मिलते हैं।
कई साधु-संतों और पंडितों का मानना है कि Patal Bhuvaneshwar गुफा सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक दिव्य ब्रह्मांडीय संरचना है, जहाँ देवताओं की ऊर्जा आज भी सक्रिय है। गुफा की संरचना और उसमें बनी आकृतियाँ इतनी रहस्यमयी हैं कि वैज्ञानिक भी अब इन पर रिसर्च कर रहे हैं।
रेल द्वारा: काठगोदाम स्टेशन से टैक्सी या बस से गंगोलीहाट।
हवाई यात्रा: पंतनगर एयरपोर्ट से 250 किमी दूरी पर।
सड़क मार्ग: हल्द्वानी – अल्मोड़ा – गंगोलीहाट – Patal Bhuvaneshwar
रुकने के लिए: PWD गेस्ट हाउस, लोकल होमस्टे और धर्मशालाएं उपलब्ध हैं।
टिकट: ₹20–₹50 प्रति व्यक्ति (स्थानीय नियमों पर निर्भर)
समय: सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक
गाइड के बिना प्रवेश वर्जित है क्योंकि गुफा की बनावट जटिल है।
👉 Official UK Tourism Site – Uttarakhand Tourism
यह गुफा मुख्य रूप से भगवान शिव को समर्पित मानी जाती है।
हाँ, लेकिन गुफा संकरी और फिसलन भरी हो सकती है। गाइड की मदद लेना जरूरी है।
लगभग 90 फीट नीचे उतरना होता है, जिसमें कई चक्करदार रास्ते हैं।
अगर उनकी सेहत ठीक है तो जा सकते हैं, लेकिन संकरी गुफा होने के कारण कठिन हो सकता है।
गुफा के बाहर नेटवर्क मिल जाता है लेकिन अंदर कोई कनेक्टिविटी नहीं होती।
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